राजीव शर्मा कहते हैं- हाल में मैंने पैगम्बर मुहम्मद साहब (सल्ल.) पर मारवाड़ी में एक किताब लिखी है। साहित्य की भाषा में इसे जीवनी कहा जा सकता है, लेकिन मेरा मानना है कि मुहम्मद साहब (सल्ल.) की महानता का जो स्तर है, उसे किसी भी व्यक्ति के लिए किताब के पन्नों में समेट पाना मुमकिन नहीं है। उनके सम्मान में मेरा यह एक छोटा-सा प्रयास है। संभवतः यह मुहम्मद साहब (सल्ल.) पर पहली ऐसी ईबुक है जो किसी हिंदू ने मारवाड़ी में लिखी है। मुझे उम्मीद है कि इससे हम मुहम्मद साहब (सल्ल.) के पैगाम को जानने के साथ ही एक दूसरे को भी अच्छी तरह जान सकेंगे। मुल्क में अमन की फिजा कायम होगी। http://ganvkagurukul.blogspot.in/2015/02/blog-post.html
तू ही हमारा मालिक है न ये लोग (ये लोग हमारी नहीं) बल्कि जिन्नात (खबाएस
भूत-परेत) की परसतिश करते थे कि उनमें के अक्सर लोग उन्हीं पर ईमान रखते थे
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तू ही हमारा मालिक है न ये लोग (ये लोग हमारी नहीं) बल्कि जिन्नात (खबाएस
भूत-परेत) की परसतिश करते थे कि उनमें के अक्सर लोग उन्हीं पर ईमान रखते थे
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तब ...